बुधवार, 21 अप्रैल 2010

तोरा मन दर्पण कहलाये

आज कई दिनों के बाद ब्लॉग पे आने का समय लगा हैं
तो आज मेरे संग्रह में हैं एक बहुत प्यारा सा गीत या कह लीजिये कि एक बहुत प्यारा सा भजन जो कि मुझे भी बहुत अच्छा लगता हैं


फिल्म: काजल         गायक:- आशा              गीतकार:- शाहिर                         संगीत: - रवि   


प्राणी अपने प्रभु से पूछे किस विधि पाऊ तोहे 
प्रभु कहे तू मन को पाले , पा जायेगा मोहे 


तोरा मन दर्पण कहलाये - २ 
भले बुरे सारे कर्मो को, देखे और दिखाये
तोरा मन दर्पण कहलाये --------


मन ही देवता, मन ही ईश्वर, मन से बड़ा ना कोये
मन उजियारा जब जब फैले, जग उजियारा होये
इस उजले दर्पण पे प्राणी,  धूल ना जमने पाये
तोरा मन दर्पण कहलाये ----------------


सुख कि कलियाँ, दुःख के काँटे, मन सबका आधार 
मन से कोई बात छुपे ना, मन के नैन हजार 
जग से चाहे भाग ले कोई, मन से भाग ना पाये 
तोरा मन दर्पण कहलाये---------------


तन कि दौलत, ढलती  छाया, मन का धन अनमोल
तन के कारण मन के धन को मत माटी में रौंद 
मन कि कदर भुलानेवाले वीराँ जनम गवाये
तोरा मन दर्पण कहलाये ---------




इस भजन का विडियो देखने के लिये नीचे दिए लिंक पर क्लिक करे 
http://www.youtube.com/watch?v=OIy20teCZpQ

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