गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

मेघो से घिर गया गगन




मेघो से घिर गया गगन 
रुक गई हैं आज पवन 
बिजली चमकी,बादल गरजे 
झूम उठा हैं सबका मन

नाचे पंख पसारे मोर 
मेंढक टर- टर करते शोर 
तरु कि शाखा लगी झूमने 
धूम मची हैं चारो और


पानी लगा बरसने झर- झर 
कितना सुंदर दृशय मनोहर 
हरी भरी हो गई हैं धरा 
आओ देखें जी भरकर
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